Tuesday, August 4, 2009

फेफाना में रात ढले तक चला कवि सम्मेल





करणीदान बारहठ जयंती समारोह
फेफाना। 2 अगस्त, 2009
शनिवार रात्रि को समीपवर्ती फेफाना ग्राम में राजस्थानी व हिन्दी के प्रसिद्ध रचनाकार करणीदान बारहठ की जयंती पर समारोह आयोजित हुआ। गांव की मरूधरा साहित्यिक संस्था की ओर से आयोजित इस समारोह में वक्ताआें ने बारहठ को माटी की बात लिखने वाला शब्दशिल्पी तथा सच्चा साहित्य साधक बताया तथा कहा कि वे मातृभाषा राजस्थानी को मान्यता के लिए आजीवन संघर्षरत रहे और राजस्थानी को मान्यता दिलवाकर ही हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि व्यक्त कर सकते हैं। वक्ताआें ने कहा कि करणीदान बारहठ बड़े रचनाकार थे। उन्हांेने सदैव आम आदमी का जीवन जिया तथा आम आदमी की खुशहाली के लिए सृजन किया। इस अवसर पर विशाल कवि सम्मेलन आयोजित हुआ। देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन में समीपवर्ती हरियाणा प्रांत व हनुमानगढ़ तथा श्रीगंगानगर जिले के एक दर्जन से ज्यादा कवियों ने हजारों श्रोताआें को रात ढले तक काव्य रस से सराबोर रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव महेन्द्र शर्मा ने की। मुख्य अतिथि जिला परिषद् के पूर्व सदस्य तथा भाजपा नेता अमरसिंह पूनियां तथा विशिष्ट अतिथि बुजुर्ग रामजीलाल व कन्हीराम थे। संस्था के अध्यक्ष विश्वनाथ स्वामी ने आगंतुकों का अभिनंदन किया।
कार्यक्रम की शुरूआत मां शारदे के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ हुई। परलीका के युवा साहित्यकार विनोद स्वामी ने चंद्रसिंह बिरकाळी रचित वाणी वंदना का सस्वर वाचन किया। परलीका के ही युवा कवि प्रमोद सोनी ने हास्य रस की छटा बिखेरी। बिरकाळी से पधारे युवा गीतकार फिरोजखान ने राजस्थानी गीत 'दायजो बंद करो` गाकर सामाजिक कुरीतियों से बचने का आह्वान किया। यहीं से आए राजस्थानी कवि विरेन्द्र छापोला ने राजस्थानी कविताएं सुनाकर श्रोताआें की दाद बटोरी। रावतसर से आए हास्य कवि रंगलाल बिश्नोई ने अपनी कविता के माध्यम से युवकों को नशे की लत से बचने का आह्वान किया। आकाशवाणी सूरतगढ़ के वरिष्ठ उद्घोषक राजेश चढ्ढा ने 'मैं रिश्तों को निभाता हूं, कभी सौदा नहीं करता, मौहब्बत जिसकी आदत है, कभी परदा नहीं करता` सहित कई गजलों के माध्यम से श्रोताआें को भावविभोर कर दिया। राजस्थानी के जाने-माने हास्य कवि रूपसिंह राजपुरी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कविता पाठ शुरू किया तो श्रोताआें का हर वर्ग हंसते-हंसते लोटपोट हो गया। भादरा से आए शायद पवन शर्मा ने भावपूर्ण गजल 'दिल के बदले में मिलता है दिल, पर ऐसे सौदे में उधार कौन करे` पढ़ी। परलीका के साहित्यकार सत्यनारायण सोनी ने अपनी हिंदी कविताआें के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष किया तथा राजस्थानी लोकरंग के माध्यम से श्रोताआें की दाद बटोरी। राजस्थानी व हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार रामस्वरूप किसान ने कविता को सच्चा व प्रामाणिक इतिहास बताते हुए अपनी काव्य कृति 'आ बैठ बात करां` से कई कविताआें का वाचन किया।
समीपवर्ती हरियाणा प्रांत से आए गजलकार लाजपुष्प ने 'हवाआें के बहकने के इशारे कौन देता है, शहर को फूंकने वाले शरारे कौन देता है` गजल के माध्यम से वर्तमान स्वार्थपरक राजनीतिक माहौल पर चिंता व्यक्त की। सिरसा के डा. शेरचंद तथा रमेश शास्त्री, जसाना के युवा कवि सतीश गोल्याण व फेफाना के गोपीदान चारण ने कविता पाठ किया तथा क्त्त् एसपीडी के प्रहलादराय पारीक, फेफाना के युवा रचनाकार रमेश धामू, महबूब अली, अजय पूनिया, श्रीचंद घोटिया व शक्तिदान, रावतसर के पत्रकार सुरेश घाे़डेला व महेन्द्र टोकसिया ने बारहठ के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विचार रखे।
कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों को आयोजक संस्था की ओर से स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। संचालन राजेश चड्ढा ने किया।

2 comments:

Science Bloggers Association said...

Bahut sundar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Mahesh Chander Kaushik said...

फेफाना पर ब्लोग देखकर बहुत अच्छा लगा मैं सन 2000.2001 में फाफाना में वाणिज्यिक कर चैक पोस्ट का प्रभारी था चौधरी श्री अमीलाल बेनीवाल हो तो कृपया उन्हे मेरी याद दिलावें कि एक भादरा का महेश चन्द्र कौशिक आपको याद कर रहा है। please mail anr reply mckaushik00@yahoo.co.in