Sunday, October 5, 2008

फेफाना एक परिचय - महबूब अली

6५० वर्ष पूर्व बसा था मेरा गाम
हनुमानगढ़ जिले का एक बड़ा गांव फेफाना नोहर- सिरसा सड़क मार्ग पर स्थित है। उपखण्ड मुख्यालय से २१ किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में हरियाणा राज्य की सीमा पर बसा हुआ है। इस कस्बाई गांव की वर्तमान आबादी करीब १६ हजार है। जसाना व खनानिया वितरिका से इस ईलाके में सिंचाई व्यवस्था होती है। अध्किांश भूमि सिंचित है तथा उपजाउफ होने के साथ समतल व कम रेतीली है। गांव मंे हिन्दु-मुसलमान र्ध्मो के मानने वाली सभी जातियों के लोग यहां मेल-जोल से रहते है। यहां सभी मुलभूत सुविधएं उपलब्ध है। शिक्षा,खेल,समाज सेवा,राजनीति एवं रोजगार के सभी क्षेत्रों में ख्याती प्राप्त है। गांव के अनेक लोग देश के विभिन्न शहरों व नगरों मंे अपना निजी व्यवसाय करते है। समुन्द्र पार विदेशों में भी यहां के लोग सेवा कर रहे है। जिनका गांव के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इस गांव ने राजाओं के सहायक से लेकर न्यायाधिश तक दिये है। यहां के लोग हर मामले में जागरुक है। फेफाना के इस क्षेत्र में प्राचीन समय में सरस्वती नदी और अन्य नदियंा बहती थी। मरुस्थल हरा-भरा था। कालान्तर मंे नदियों ने अपने रास्ते बदल लिये और मरुस्थल बन गया। मैदानी क्षेत्रा भंयकर जंगल बन गया था । समय के साथ पानी घटता गया,लोग नदियों के पास आबाद होने लगे। मैदानी क्षेत्रा के कारण नदियां अपना रास्ता बदल लिया करती थी। सरस्वती नदी के मुहाने बदलने के कारण यहां आबाद क्षेत्रा बर्बाद हो गया। जिसके प्रमाण थेहड़ है। ये अब भी देखने को मिलते है। यहां के थेहड़ों से मिट्टी के बर्तन,राख आदि से लगता है कि यहां मुस्लिम आबादी रही होगी। दसवीं शताब्दी के पश्चात सरस्वती नदी गायब हो गयी। समय बीता तो यहां के इस क्षेत्र में नहर आने से पूर्व भंयकर जंगल की स्थिति थी जिसको भाखड़ा सिचाई परियोजना की नहरांे से हरा भरा बना दिया । कांदल वंश की रानी 'फेफा` के नाम पर करीब साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व चौहदवी शताब्दी में बसाया गया गांव फेफाना अनेक बार उजड़ा और बसा। सन् १८१९ में महाराजा सूरतसिंह के शासन काल में इसी उजड़े गांव को पुन: बसाया गया था। सन् १३५४ में फिरोजशाह ने एक किले के रुप में हिसार नगर की स्थापना की थी। पहले हिसार फिरोजा कहा जाता था। उसके आस-पास छोटे-छोटे राज्य थे, सब हिसार सूबे के अधीन थे। कर-बिगोड़ी देते थे।पन्द्रहवी शताब्दी में इस क्षेत्र में राठौड़ वंश का आगमन हुआ। कांदल राजपुत काफी शूर वीर यौ(ा था । जिसने अपने प्रभाव से इस क्षेत्र में अपना राज कायम किया। यहां की जनता ने उसे ही अपना राजा मान लिया था। हिसार नवाब को जो कर बिगोड़ी देते थे,बंद कर दी गयी। कांदल,बीका और जोध महान यौ(ा,शुरवीर थे। कांदल जोधा का भाई तथा बीका भतीजा था। ये भादरा रहते थे। कांदल ने साहवा को अपना ठिकाना बना लिया। जोधपुर से शासन संचालित होता था। हिसार तक उनका राज्य था। कांदल;कांधलद्ध की रानी 'फेफा` के नाम पर गांव फेफाना बसाया गया। तत्पश्चात किसी समय आबाद गांव फेफाना के निवासी अन्यत्रा जा बसे गांव उजड़ गया। मुस्लिम शासक का प्रभुत्व क्षेत्र में कायम हो गया। सन् १८१९ में महाराज सूरतसिंह के शासनकाल में उजड़े फेफाना को फिर बसाया गया। पण्डित रतनाराम इंदौरिया थानापति बने और केवलाराम बिजारणिया को महाराजा द्वारा पगड़ी बांध्कर लम्बरदार बनाया गया। तब से गांव अब कस्बे के रुप में प्रगति कर रहा है ।

3 comments:

Water Community said...

आपके फेफाना गांव की रिपोर्टिंग अच्छी लगी। एक बार फेफाना गया हूं याद ताजा हो आई।

hindi.indiawaterportal.org

केसर

Unknown said...

Jai fefana

Unknown said...

very nice